मै पत्रकार हू
हा मैं हूँ पत्रकार
झूठा अभिमान, झूठा है मेरा गुरुर
खबरों की तलाश में दिन भर
ऑफिस दर ऑफिस का लगाता हूँ चक्कर .
ब्रेकिंग- एक्सक्लुसिव की खोज में
भूल जाता हू
अपने बीबी बच्चे को
माँ कहती है जल्दी घर आना
बीबी इंतजार में पलके बिछाए सो जाती है
जब ऑफिस आता हू तो नहीं रहता घर की याद
ऑफिस ही दुनिया, खबर बन गई है ज़िन्दगी
खबरों की तलाश में एक दिन हार जाती है मेरी ज़िन्दगी
माँ रोती है, बीबी की आँखें पथरा जाती hai
मेरे लाश की इतनी भी कीमत नहीं लगती
की मेरी आत्मा भी खुद पर गर्व कर सके
माँ, बीबी और बच्चे की सर्द पुतलियाँ
पूछती है : क्या मेरे बेटे, पति और पापा की कीमत तीन हजार रुपये है ?
हा मै हूँ पत्रकार, मेरी भी लगती है कीमत
जीते जी न सही, मरने के बाद
यही है मेरी ज़िन्दगी, जिसकी कीमत है ३ हजार
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