Monday 13 August 2012

सोंचता है ये पल

सोंचता है ये पल 
आज नहीं तो कल 
ये शमा गुन-गुनायेगी 
ये वादियाँ मुस्कुराएगी 
झिलमिल सितारों में 
मै भी कही दूर 
तन्हा नजर आऊंगा, 
सोंचता है ये  पल  
आज नहीं तो कल 
मेरे जहन में भी आएगी ख़ुशी 
घर के चौखट से दूर होगा अँधेरा 
चुपके से ख़ुशी आकर 
हर गम को दूर करेगी, 
सोंचता है ये पल
आज नहीं तो कल
मिटेगी सदियों की ख़ामोशी 
दूर होगी ये चेहरे की उदासी 
हम भी मुस्कुराएंगे 
हम भी गुनगुनायेंगे 
उम्मीदों की दहलीज पर 
यूं ही इंतजार करते जायेंगे -------------!

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